AEAWA group is a top NGO in c.g working since last 5 year,Work for change society.NGO is placed at Raipur,Work for child and women development

Wednesday 7 March 2018

AEAWA Group celebrate अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस International Women's Day in Hindi

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास

International Women’s Day (IWD) या अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। यह विशेष दिन अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रही महिलाओं का सम्मान करने और उनकी उपलब्धियों का उत्सव मनाने का दिन है।



सबसे पहले ये दिन अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर 28 फ़रवरी 1909 को मनाया गया था। बाद में इसे फरवरी के आखिरी रविवार को मनाया जाने लगा। शायद आपको जान कर आश्चर्य हो कि पहले अधिकतर देशों में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था। उन्हें ये अधिकार दिलाने के उद्देश्य से 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में महिला दिवस को अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा दिया गया। इस दिवस की महत्ता तब और भी बढ़ गयी जब 1917 में फरवरी के आखिरी रविवार को रूस में महिलाओं ने bead and peace के लिए एक आन्दोलन छेड़ दिया जो जो धीरे-धीरे बढ़ता गया और ज़ार को रूस की सत्ता छोड़नी पड़ी। इसके बाद जो अंतरिम सरकार बनी उसने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दे दिया।

रुस में जब ये आन्दोलन शुरू हुआ था तब वहां जुलियन कैलेण्डर चलता था (अब ग्रेगेरियन कैलेण्डर प्रयोग होता है) जिसके मुताबिक़ फरवरी का आखिरी रविवार को 23 तारीख थी जबकि बाकी दुनिया में उस समय भी ग्रेगेरियन कैलेंडर चलता था और उसके मुताबिक़ रूस की तेईस फरवरी बाकी दुनिया की आठ मार्च थी इसीलिए 8 March को इंटरनेशनल विमेंस डे के रूप में मनाया जाने लगा।

नारी शक्ति का उत्सव – अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 

मित्रों नारियों में अपरिमित शक्ति और क्षमताएँ विद्यमान हैं। व्यवाहरिक जगत के सभी क्षेत्रों में उन्होने कीर्तिमान स्थापित किये हैं। अपने अदभुत साहस, अथक परिश्रम तथा दूरदर्शी बुद्धिमत्ता के आधार पर विश्वपटल पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहीं हैं। मानवीय संवेदना, करुणा, वात्सल्य जैसे भावो से परिपूर्ण अनेक नारियों ने युग निर्माण में अपना योगदान दिया है। ऐसी ही महान नारियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का संक्षिप्त परिचय देने का प्रयास कर रहे हैं।



एक ऐसा क्षेत्र, जहां महिलाएं सशक्तिकरण की राह पर हैं और अपने पक्ष की  मजबूत दावेदारी दिखा रही हैं। यह क्षेत्र है देश की सुरक्षा। देश की सुरक्षा सबसे अहम होती है, तो इस क्षेत्र में आखिर महिलाओं की भागीदारी  को कम क्यूं आंका जाए। देश की मिसाइल सुरक्षा की कड़ी में 5000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली अग्नि-5 मिसाइल की जिस महिला ने सफल परीक्षण कर पूरे विश्व मानचित्र पर भारत का नाम रौशन किया है, वह शख्सियत हैं टेसी थॉमस।

डॉ. टेसी थॉमस को कुछ लोग ‘मिसाइल वूमन’ कहते हैं, तो कई उन्हें ‘अग्नि-पुत्री’ का खिताब देते हैं। पिछले 20 सालों से टेसी थॉमस इस क्षेत्र में मजबूती से जुड़ी हुई हैं। टेसी थॉमस पहली भारतीय महिला हैं, जो देश की मिसाइल प्रोजेक्ट को संभाल रही हैं। टेसी थॉमस ने इस कामयाबी को यूं ही नहीं हासिल किया, बल्कि इसके लिए उन्होंने जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना भी करना पड़ा। आमतौर पर रणनीतिक हथियारों और परमाणु क्षमता वाले मिसाइल के क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व रहा है। इस धारणा को तोड़कर डॉ. टेसी थॉमस ने सच कर दिखाया कि कुछ उड़ान हौसले के पंखों से भी उड़ी जाती।

डॉ. किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा की प्रथम वरिष्ठ महिला अधिकारी हैं। उन्होंने विभिन्न पदों पर रहते हुए अपनी कार्य-कुशलता का परिचय दिया है। वे संयुक्त आयुक्त पुलिस प्रशिक्षण तथा दिल्ली पुलिस स्पेशल आयुक्त (खुफिया) के पद पर कार्य कर चुकी हैं। ‘द ट्रिब्यून’ के पाठकों ने उन्हें ‘वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला’ चुना। उनके मानवीय एवं निडर दृष्टिकोण ने पुलिस कार्यप्रणाली एवं जेल सुधारों के लिए अनेक आधुनिक आयाम जुटाने में महत्वपूर्ण योगदान किया है।



निःस्वार्थ कर्तव्यपरायणता के लिए उन्हें शौर्य पुरस्कार मिलने के अलावा उनके अनेक कार्यों को सारी दुनिया में मान्यता मिली है, जिसके परिणामस्वरूप एशिया का नोबल पुरस्कार कहा जाने वाला रमन मैगसेसे पुरस्कार से उन्हें नवाजा गया। व्यावसायिक योगदान के अलावा उनके द्वारा दो स्वयं सेवी संस्थाओं की स्थापना तथा पर्यवेक्षण किया जा रहा है। ये संस्स्थाएं हैं- 1988 में स्थापित नव ज्योति एवं 1994 में स्थापित इंडिया विजन फाउंडेशन। ये संस्थाएं रोजना हजारों गरीब बेसहारा बच्चों तक पहुँचकर उन्हें प्राथमिक शिक्षा तथा स्त्रियों को प्रौढ़ शिक्षा उपलब्ध कराती है।

‘नव ज्योति संस्था’ नशामुक्ति के लिए इलाज करने के साथ-साथ झुग्गी बस्तियों, ग्रामीण क्षेत्रों में तथा जेल के अंदर महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण और परामर्श भी उपलब्ध कराती है। डॉ. बेदी तथा उनकी संस्थाओं को आज अंतर्राष्ट्रीय पहचान प्राप्त है। नशे की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा किया गया ‘सर्ज साटिरोफ मेमोरियल अवार्ड’ इसका ताजा प्रमाण है।

खेल जगत में भी महिलाएं सफलता पूर्वक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुई हैं।

भारतीय ट्रैक ऍण्ड फ़ील्ड की रानी” माने जानी वाली पी॰ टी॰ उषा भारतीय खेलकूद में 1979 से हैं। वे भारत के अब तक के सबसे अच्छे खिलाड़ियों में से हैं। उन्हें “पय्योली एक्स्प्रेस” नामक उपनाम दिया गया था। 1983 में सियोल में हुए दसवें एशियाई खेलों में दौड़ कूद में, पी॰ टी॰ उषा ने 4 स्वर्ण व 1 रजत पदक जीते।

वे जितनी भी दौड़ों में हिस्सा लीं, सबमें नए एशियाई खेल कीर्तिमान स्थापित किए। 1985 में जकार्ता में हुई एशियाई दौड-कूद प्रतियोगिता में उन्होंने पाँच स्वर्ण पदक जीते। एक ही अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में छः स्वर्ण जीतना भी एक कीर्तिमान है। ऊषा ने अब तक 101 अतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं। वे दक्षिण रेलवे में अधिकारी पद पर कार्यरत हैं। 1985 में उन्हें पद्म श्री व अर्जुन पुरस्कार दिया गया।

एक भारतीय महिला मुक्केबाज हैं, मैरी कॉम पांच बार ‍विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता की विजेता रह चुकी हैं। दो वर्ष के अध्ययन प्रोत्साहन अवकाश के बाद उन्होंने वापसी करके लगातार चौथी बार विश्व गैर-व्यावसायिक बॉक्सिंग में स्वर्ण जीता। उनकी इस उपलब्धि से प्रभावित होकर एआइबीए ने उन्हें मॅग्नीफ़िसेन्ट मैरी (प्रतापी मैरी) का संबोधन दिया। वह 2012 के लंदन ओलम्पिक मे महिला मुक्केबाजी मे भारत की तरफ से जाने वाली एकमात्र महिला थीं।


मैरी कॉम ने सन् 2001 में प्रथम बार नेशनल वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती। अब तक वह छह राष्ट्रीय खिताब जीत चुकी है। बॉक्सिंग में देश का नाम रौशन करने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2003 में उन्हे अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया एवं वर्ष 2006 में उन्हे पद्मश्री से सम्मानित किया गया। जुलाई 29, 2009 को वे भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गाँधी  खेल रत्न पुरस्कार के लिए (मुक्केबाज विजेंदर कुमार तथा पहलवान सुशील कुमार के साथ) चुनीं गयीं। सायना नेहवाल, सानिया मिर्जा जैसी कई महिलाएं खेल जगत की गौरवपूर्ण पहचान हैं। 1984- बछेन्द्री पाल दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला हैं।

मेरी क्युरी विख्यात भौतिकविद और रसायनशास्त्री थी। मेरी ने रेडियम की खोज की थी। विज्ञान की दो शाखाओं (भौतिकी एवं रसायन विज्ञान) में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली वह पहली वैज्ञानिक हैं। वैज्ञानिक मां की दोनों बेटियों ने भी नोबल पुरस्कार प्राप्त किया। बडी बेटी आइरीन को 1935 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ तो छोटी बेटी ईव को 1965 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।


ब्रिटिश संसद में महिलाओं को भाग लेने का अधिकार नही था। 1911 में महिलाओं के अधिकार के लिये लङने वाली वीर नारी नेन्सी एस्टर, ब्रिटिश संसद की पहली महिला सासंद बनी। विश्व के राजनीतिक पटल पर आज अनेक देशों के सर्वोच्च पद पर महिलाओं का वर्चस्व है। श्रीलंका की प्रधानमंत्री श्रीमावो भंडार नायके विश्व की प्रथम महिला राष्ट्रपति निर्वाचित हुई।

विश्वराजनीति के पटल पर पहली महिला राष्ट्रपति का गौरव फिलीपीन्स की  मारिया कोराजोन एक्यीनो को जाता है। रजीया सुल्तान हो या बेनीजीर भुट्टो या बेगम खालिदा जिया जैसी कई साहसी मुस्लिम महिलाओं ने भी राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। भारत जैसे शक्तिशाली देश की कमान इंदिरा गाँधी, प्रतिभा सिंह पाटिल द्वारा संचालित की जा चुकी है। लोकसभा अध्यक्षा मीरा कुमार एवं अनेक राज्यों की महिला मुख्यमंत्री आज भी अपने कार्य को सफलता पूर्वक अंजाम दे रहीं हैं। अभी हाल ही में एशिया की चौथी सबसे बङी अर्थव्वस्था की नेता पार्क ग्यून हेई ने दक्षिण कोरिया की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेकर नारी वर्ग के गौरव को और आगे बढाया है।


स्त्रियाँ ही हैं, जो लोगों की अच्छी सेवा कर सकती हैं, दूसरों की भरपूर मदद कर सकती हैं। जिंदगी को अच्छी तरह प्यार कर सकती हैं और मृत्यु को गरिमा प्रदान कर सकती हैं।

8 मार्च  को  मनाये जा रहे महिला दिवस पर समस्त  नारी जगत को निम्न पंक्तियों के साथ हार्दिक बधाईः-
मानवता की मूर्तीवती, तू भव्य-भूषण भंडार।दया, क्षमा, ममता की आकार, विश्व प्रेम की है आधार।। 
Source : https://www.achhikhabar.com/2013/03/07/international-womens-day-in-hindi/ 

Tuesday 6 March 2018

आशीर्वाद एजुकेशन एंड वेलफ़ेयर एसोसिएशन (AEAWA) के सदस्यों द्वारा बृक्षारोपण कर हरियाली का सन्देश देते हुए !

प्राचीन काल से ही मानव और प्रकृति का घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है । भोजन, वस्त्र और आवास की समस्याओं का समाधान भी इन्हीं वनों से हुआ है । वृक्षों से उसने मीठे फल, वृक्षों की छाल,जड़ी  बूटी ,एवं सुद्ध हवा  प्राप्त की और पत्तों से उसने अपना शरीर ढका ।
सदस्यों के द्वारा बृक्षारोपण 
उनकी लकड़ियों और पत्तियों से अपने घर की छत बनाई । प्राचीन काल का साहित्य भी हमें ताड़-पत्रों पर सुरक्षित मिलता है । प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ उपहार वन है । वनों की हरियाली के बिना मानव जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है । जन्म से लेकर मृत्यु तक इन वनों की लकड़ी ही उसके काम आती है ।

बचपन में लकड़ी के पालने में झूलना, बुढ़ापे में उसका सहारा लेकर चलना और जीवन लीला की समाप्ति पर इन्हीं लकड़ियों पर सोना मनुष्य की अन्तिम गति है । इन वृक्षों से हमें शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है । घने वनों की हरियाली देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है ।
वृक्ष स्वयं धूप में रहकर हमें छाया देते हैं । जब तक हरे-भरे रहते हैं तब तक हमें फल, सब्जियां देते हैं और सूखने पर ईंधन के लिए लकड़ी देते हैं । इन्हीं वृक्षों की हरी पत्तियों और फलों को खाकर गाय, भैंस, बकरी आदि जानवर दूध देते हैं जिसमें हमें प्रोटीन मिलता है ।

देश को हरा-भरा बनाए रखने के लिए स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से ही वन महोत्सव का आयोजन किया जाता है । प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि वह अपने जीवन में एक वृक्ष अवश्य लगाए । आज का स्वार्थी मानव पेड़ तो काटता गया लेकिन पेड़ लगाना भूल गया जिससे यह समस्या आज इतनी उग्र हो गई ।

बिना परमाणु युद्ध की लड़ाई लड़े ही अपनी कब्र अपने हाथों से खोद ली और अपने द्वारा रचे गए वातावरण में वह स्वयं आज पल रहा है । वन पृथ्वी की अमूल्य धरोहर है । वह मूल से लेकर शिखा तक हमारे लिए है । उनकी रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है । अपने और आने वाली पीढ़ी के जीवन को बचाने के लिए हमें वृक्षारोपण करना ही होगा ।
Source : http://www.essaysinhindi.com

इसी  सन्देश को सार्थक बनाने हेतु आशीर्वाद एजुकेशन एंड वेलफेयर एसोसिएशन का एक प्रयास ! कार्यक्रम में संस्था के अध्यक्ष लुकेश कुमार बघेल जी ,उपा -अध्यक्ष कुश चंद्र, कोषा-अध्यक्ष अंकित कुमार , सचिव भीष्म साहू, सहसचिव  गोपाल झा ,  अन्तर रास्ट्रीय वॉल्वो Adventure (International Volvo) विजेता राकेश भारती गोस्वामी जी, शायरा जी ,एवं अन्य सदस्य उपस्थित रहे !

Popular Posts

Powered by Blogger.

Download